રામ કથા
માનસ ગંગોત્રી
ગંગોત્રી, ઉત્તરાખંડ
શનિવાર, તારીખ ૧૮/૦૮/૨૦૧૮
થી રવિવાર, તારીખ ૨૬/૦૮/૨૦૧૮
મુખ્ય પંક્તિઓ
ससि ललाट सुंदर सिर गंगा।
नयन तीनि उपबीत भुजंगा॥
पूँछेहु रघुपति कथा प्रसंगा।
सकल लोक जग पावनि गंगा॥
ससि ललाट सुंदर सिर गंगा।
नयन तीनि उपबीत भुजंगा॥
गरल कंठ उर नर सिर माला।
असिव बेष सिवधाम कृपाला॥2॥
शिवजी
के सुंदर मस्तक पर चन्द्रमा, सिर पर गंगाजी, तीन नेत्र, साँपों का जनेऊ, गले में विष
और छाती पर नरमुण्डों की माला थी। इस प्रकार उनका वेष अशुभ होने पर भी वे कल्याण के
धाम और कृपालु हैं॥2॥
पूँछेहु रघुपति कथा प्रसंगा।
सकल लोक जग पावनि गंगा॥
तुम्ह रघुबीर चरन अनुरागी।
कीन्हिहु प्रस्न जगत हित लागी॥4॥
जो
तुमने श्री रघुनाथजी की कथा का प्रसंग पूछा है, जो कथा समस्त लोकों के लिए जगत को पवित्र
करने वाली गंगाजी के समान है। तुमने जगत के कल्याण के लिए ही प्रश्न पूछे हैं। तुम
श्री रघुनाथजी के चरणों में प्रेम रखने वाली हो॥4॥