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Saturday, April 6, 2019

માનસ રત્નાવલી


રામ કથા

માનસ રત્નાવલી

રત્નાવલી (ઉ. પ્ર.)

શનિવાર, તારીખ ૦૬/૦૪/૨૦૧૯ થી રવિવાર, તારીખ ૧૪/૦૪/૨૦૧૯

મુખ્ય પંક્તિઓ

नाम निरूपन नाम जतन तें।

सोउ प्रगटत जिमि मोल रतन तें॥

संपुट  भरत  सनेह  रतन  के। 

आखर  जुग  जनु  जीव  जतन  के॥

શનિવાર, ૦૬/૦૪/૨૦૧૯

अस प्रभु हृदयँ अछत अबिकारी। सकल जीव जग दीन दुखारी॥

ऐसे विकाररहित प्रभु के हृदय में रहते भी जगत के सब जीव दीन और दुःखी हैं। नाम का निरूपण करके (नाम के यथार्थ स्वरूप, महिमा, रहस्य और प्रभाव को जानकर) नाम का जतन करने से (श्रद्धापूर्वक नाम जप रूपी साधन करने से) वही ब्रह्म ऐसे प्रकट हो जाता है, जैसे रत्न के जानने से उसका मूल्य॥4॥

चरनपीठ  करुनानिधान  के।  जनु  जुग  जामिक  प्रजा  प्रान  के॥

करुणानिधान  श्री  रामचंद्रजी  के  दोनों  ख़ड़ाऊँ  प्रजा  के  प्राणों  की  रक्षा  के  लिए  मानो  दो  पहरेदार  हैं।  भरतजी  के  प्रेमरूपी  रत्न  के  लिए  मानो  डिब्बा  है  और  जीव  के  साधन  के  लिए  मानो  राम-नाम  के  दो  अक्षर  हैं॥3॥