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Saturday, March 23, 2019

માનસ અપરાધ


રામ કથા

માનસ અપરાધ

બરેલી (ઉ. પ્ર.)

શનિવાર, તારીખ ૨૩/૦૩/૨૦૧૯ થી રવિવાર, તારીખ ૩૧/૦૩/૨૦૧૯

મુખ્ય ચોપાઈ

सुनु  सुरेस  रघुनाथ  सुभाऊ। 

निज  अपराध  रिसाहिं    काऊ॥

जो  अपराधु  भगत  कर  करई।

राम  रोष  पावक  सो  जरई॥


શનિવાર, ૨૩/૦૩/૨૦૧૯

तब  किछु  कीन्ह  राम  रुख  जानी।  अब  कुचालि  करि  होइहि  हानी।

उस  समय  (पिछली  बार)  तो  श्री  रामचंद्रजी  का  रुख  जानकर  कुछ  किया  था,  परन्तु  इस  समय  कुचाल  करने  से  हानि  ही  होगी।  हे  देवराज!  श्री  रघुनाथजी  का  स्वभाव  सुनो,  वे  अपने  प्रति  किए  हुए  अपराध  से  कभी  रुष्ट  नहीं  होते॥2॥

लोकहुँ  बेद  बिदित  इतिहासा।  यह  महिमा  जानहिं  दुरबासा॥3॥

पर  जो  कोई  उनके  भक्त  का  अपराध  करता  है,  वह  श्री  राम  की  क्रोधाग्नि  में  जल  जाता  है।  लोक  और  वेद  दोनों  में  इतिहास  (कथा)  प्रसिद्ध  है।  इस  महिमा  को  दुर्वासाजी  जानते  हैं॥3॥

માલિકનું એક નામ અનેક અપરાધોથી મુક્તિ અપાવે છે.

  • ૧ દેહનો અપરાધ ન કરવો. શરીર સ્વસ્થ રાખવું જોઈએ. દેહની પૂજા કરવાની જરૂર નથી પણ સેવા કરવાની જરૂર છે.
  • ૨ દેવનો – પરમ તત્વનો અપરાધ ન કરવો.
  • ૩ દેશનો અપરાધ ન કરવો.
  • ૪ કોઈન દીલનો હ્નદયનો અપરાધ ન કરવો.







માનસ નવજીવન


રામ કથા

માનસ નવજીવન

અમદાવાદ, ગુજરાત

શનિવાર, તારીખ ૨૩/૦૨/૨૦૧૯ થી રવિવાર, તારીખ ૦૩/૦૩/૨૦૧૯

મુખ્ય પંક્તિઓ

हरषे सब बिलोकि हनुमाना।

नूतन जन्म कपिन्ह तब जाना॥


 मुख प्रसन्न तन तेज बिराजा। 

कीन्हेसि रामचंद्र कर काजा॥


मुख प्रसन्न तन तेज बिराजा। कीन्हेसि रामचंद्र कर काजा॥2॥

हनुमान्‌जी को देखकर सब हर्षित हो गए और तब वानरों ने अपना नया जन्म समझा। हनुमान्‌जी का मुख प्रसन्न है और शरीर में तेज विराजमान है, (जिससे उन्होंने समझ लिया कि) ये श्री रामचंद्रजी का कार्य कर आए हैं॥2॥