રામ કથા
માનસ કબંધ
ડુંગરપુર, રાજસ્થાન
શનિવાર, તારીખ ૧૮/૦૫/૨૦૧૯
થી રવિવાર, તારીખ ૨૬/૦૫/૨૦૧૯
મુખ્ય પંક્તિઓ
आवत पंथ कबंध निपाता।
तेहिं सब कही साप कै बाता॥
ताहि देइ गति राम उदारा।
सबरी कें आश्रम पगु धारा॥
૧
શનિવાર, ૨૦/૦૪/૨૦૧૯
संकुल लता बिटप घन कानन। बहु खग मृग तहँ गज पंचानन॥
आवत पंथ कबंध निपाता। तेहिं सब कही साप कै बाता॥3॥
वह सघन वन
लताओं और वृक्षों
से भरा है। उसमें बहुत
से पक्षी, मृग,
हाथी और सिंह रहते हैं।
श्री रामजी ने
रास्ते में आते हुए कबंध
राक्षस को मार डाला। उसने
अपने शाप की सारी बात
कही॥3॥
शबरी पर कृपा, नवधा भक्ति उपदेश और पम्पासर की ओर प्रस्थान
सबरी देखि राम गृहँ आए। मुनि के बचन समुझि जियँ भाए॥3॥
भावार्थ:- उदार श्री
रामजी उसे गति देकर शबरीजी
के आश्रम में
पधारे। शबरीजी ने
श्री रामचंद्रजी को
घर में आए देखा, तब
मुनि मतंगजी के
वचनों को याद करके उनका
मन प्रसन्न हो
गया॥3॥