રામ કથા - 965
માનસ ગોપનાથ - 965
ગોપનાથ, ભાવનગર, ગુજરાત
શનિવાર, તારીખ 04/10/2025 થી રવિવાર, તારીખ 12/10/2025
મુખ્ય ચોપાઈ
बिस्वनाथ मम नाथ पुरारी।
त्रिभुवन महिमा बिदित तुम्हारी॥
नाथ कृपाँ अब गयउ बिषादा।
सुखी भयउँ प्रभु चरन प्रसादा॥
Day 1
Saturday,
04/10/2025
बिस्वनाथ मम नाथ पुरारी। त्रिभुवन महिमा बिदित तुम्हारी॥
चर अरु अचर नाग नर देवा। सकल करहिं पद पंकज सेवा॥
(पार्वती ने कहा -) हे संसार के
स्वामी! हे मेरे नाथ! हे त्रिपुरासुर का वध करनेवाले! आपकी महिमा तीनों लोकों में विख्यात
है। चर, अचर, नाग, मनुष्य और देवता सभी आपके चरण कमलों की सेवा करते हैं।
नाथ कृपाँ अब गयउ बिषादा। सुखी भयउँ प्रभु चरन प्रसादा॥
अब मोहि आपनि किंकरि जानी। जदपि सहज जड़ नारि अयानी॥2॥
हे नाथ! आपकी कृपा से अब मेरा विषाद
जाता रहा और आपके चरणों के अनुग्रह से मैं सुखी हो गई। यद्यपि मैं स्त्री होने के कारण
स्वभाव से ही मूर्ख और ज्ञानहीन हूँ, तो भी अब आप मुझे अपनी दासी जानकर-॥2॥