રામ કથા - 967
માનસ વંદે માતરમ્
ઘાટકોપર – મુંબઈ
શનિવાર, તારીખ 22/11/2025 થી રવિવાર, તારીખ 30/11/2025
મુખ્ય પંક્તિઓ
तब मयना हिमवंतु अनंदे।
पुनि पुनि पारबती पद बंदे॥
पारबती भल अवसरु जानी।
गईं संभु पहिं मातु भवानी॥1॥
1
Saturday,
22/11/2025
तब मयना हिमवंतु अनंदे। पुनि पुनि पारबती पद बंदे॥
नारि पुरुष सिसु जुबा सयाने। नगर लोग सब अति हरषाने॥1॥
तब मैना और हिमवान आनंद में मग्न
हो गए और उन्होंने बार-बार पार्वती के चरणों की वंदना की। स्त्री, पुरुष, बालक, युवा
और वृद्ध नगर के सभी लोग बहुत प्रसन्न हुए॥1॥
बैठे सोह कामरिपु कैसें। धरें सरीरु सांतरसु जैसें॥
पारबती भल अवसरु जानी। गईं संभु पहिं मातु भवानी॥1॥
कामदेव के शत्रु शिवजी वहाँ बैठे
हुए ऐसे शोभित हो रहे थे, मानो शांतरस ही शरीर धारण किए बैठा हो। अच्छा मौका जानकर
शिवपत्नी माता पार्वतीजी उनके पास गईं।
वन्दे मातरम्
सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम्
सस्य श्यामलां मातरंम् .
शुभ्र ज्योत्सनाम् पुलकित यामिनीम्
फुल्ल कुसुमित द्रुमदलशोभिनीम्,
सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीम् .
सुखदां वरदां मातरम् ॥
मूल गीत
सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम्
सस्य श्यामलां मातरंम् .
शुभ्र ज्योत्सनाम् पुलकित यामिनीम्
फुल्ल कुसुमित द्रुमदलशोभिनीम्,
सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीम् .
सुखदां वरदां मातरम् ॥
कोटि कोटि कन्ठ कलकल निनाद कराले
द्विसप्त कोटि भुजैर्ध्रत खरकरवाले
के बोले मा तुमी अबले
बहुबल धारिणीम् नमामि तारिणीम्
रिपुदलवारिणीम् मातरम् ॥
तुमि विद्या तुमि धर्म, तुमि ह्रदि तुमि मर्म
त्वं हि प्राणाः शरीरे
बाहुते तुमि मा शक्ति,
हृदये तुमि मा भक्ति,
तोमारै प्रतिमा गडि मन्दिरे-मन्दिरे ॥
त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी
कमला कमलदल विहारिणी
वाणी विद्यादायिनी, नमामि त्वाम्
नमामि कमलां अमलां अतुलाम्
सुजलां सुफलां मातरम् ॥
श्यामलां सरलां सुस्मितां भूषिताम्
धरणीं भरणीं मातरम् ॥
अरबिन्द का अनुवाद
मैं आपके सामने नतमस्तक होता हूँ।
ओ माता, पानी से सींची, फलों से भरी, दक्षिण की वायु के साथ शान्त,
कटाई की फ़सलों के साथ गहरा,
माता!
उसकी रातें चाँदनी की गरिमा में
प्रफुल्लित हो रही हैं, उसकी ज़मीन खिलते फूलों वाले वृक्षों से बहुत सुंदर ढकी हुई
है, हंसी की मिठास, वाणी की मिठास, माता, वरदान देने वाली, आनंद देने वाली।
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