રામ કથા - 895
માનસ પ્રથમ સોપાન
લલિતપુર, ઉત્તર પ્રદેશ
શનિવાર, તારીખ ૩0/0૪/૨0૨૨
થી રવિવાર, 0૮/0૫/૨0૨૨
મુખ્ય ચોપાઈ
प्रथमहिं अति अनुराग भवानी।
रामचरित सर कहेसि बखानी।।
पुनि नारद कर मोह अपारा।
कहेसि बहुरि रावन अवतारा।।
प्रभु अवतार कथा पुनि गाई।
तब सिसु चरित कहेसि मन लाई।।
बालचरित कहि बिबिधि बिधि
मन महँ परम उछाह।।
रिषि आवगन कहेसि पुनि श्रीरघुबीर
बिबाह।।
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Saturday, 30/04/2022
प्रथमहिं अति अनुराग भवानी।
रामचरित सर कहेसि बखानी।।
पुनि नारद कर मोह अपारा।
कहेसि बहुरि रावन अवतारा।।4।।
हे
भवानी ! पहले तो उन्होंने बड़े ही प्रेम से रामचरितमानस सरोवर का रूपक समझाकर कहा।
फिर नारद जी का अपार मोह और फिर रावण का अवतार कहा।।4।।
प्रभु अवतार कथा पुनि गाई।
तब सिसु चरित कहेसि मन लाई।।5।।
फिर
प्रभु के अवतारकी कथा वर्णन की। तदनन्तर मन लगाकर श्रीरामजीकी बाललीलाएँ कहीं।।5।।
बालचरित कहि बिबिधि बिधि
मन महँ परम उछाह।।
रिषि आवगन कहेसि पुनि श्रीरघुबीर
बिबाह।।64।।
मनमें
परम उत्साह भरकर अनेकों प्रकारकी बाललीलाएँ कहकर, फिर ऋषि विश्वामित्रजी का अयोध्या
आना और श्रीरघुवीरका विवाह वर्णन किया।।64।।
सनातन
वैदिक धर्ममें सात की महिमा हैं, सात समुद्र हैं, सात उपरके लोक, सात पाताल, संगीतके
सुर सात हैं।
गरुड
ने सात प्रश्न पूछे हैं।
बालकांड
में सात की वंदना करी गई हैं।
पांव
पकडना बंध हो जाय और हाथ पकडना शुरु हो जाय तो वही सही विकास हैं।
विश्राम
तब मिलेगा जब सबके हाथ छोडकर किसी एकका हाथ पकड लो – किसी एककी शरणागति का स्वीकार
कर लेना हि सही विश्राम हैं।
हरि
रुठे तो गुरु बचाता हैं, गुरु कभी भी रुठता नहीं हैं, गुरु दशावतार का विग्रह हैं।
दशावतारके
सभी प्रधान लक्षण गुरु – साधु पुरुष में हैं, गुरु के चरण का पासवर्ड भरोंसा हैं।
प्रेमी
के आंसु दिखाई देने चाहिये।
गुरु
आंसु देखता हैं।
गुरु
आंसु को झिलता हैं।
गुरु
ऐसी करुणा करता हैं कि हमारी आंखसे प्रेम के हि आंसु निकले।
જેનાં
નેણ અને વેણ દિવ્ય હોય તેનો સંગ કરવો.
સાધુ
કોઈની ઉપેક્ષા ન કરે તેમજ કોઈ અપેક્ષા પણ ન રાખે.
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