રામ કથા - 964
માનસ ગોસુક્ત - 964
બરસાના, ઉત્તર પ્રદેશ
શનિવાર, તારીખ 20/09/2025 થી રવિવાર તારીખ 28/09/2025
કેંદ્રીય પંક્તિઓ
जेहिं जेहिं देस धेनु द्विज पावहिं।
नगर गाउँ पुर आगि लगावहिं॥
Day 1
Saturday, 20/09/2025
जेहि बिधि होइ धर्म निर्मूला। सो सब करहिं बेद प्रतिकूला॥
जेहिं जेहिं देस धेनु द्विज पावहिं। नगर गाउँ
पुर आगि लगावहिं॥3॥
जिस प्रकार धर्म की जड़ कटे, वे वही
सब वेदविरुद्ध काम करते थे। जिस-जिस स्थान में वे गो और ब्राह्मणों को पाते थे, उसी
नगर, गाँव और पुरवे में आग लगा देते थे॥3॥
धेनु रूप धरि हृदयँ बिचारी। गई तहाँ जहँ सुर मुनि झारी॥
निज संताप सुनाएसि रोई। काहू तें कछु काज न होई॥4॥
(अंत में) हृदय में सोच-विचारकर,
गो का रूप धारण कर धरती वहाँ गई, जहाँ सब देवता और मुनि (छिपे) थे। पृथ्वी ने रोककर
उनको अपना दुःख सुनाया, पर किसी से कुछ काम न बना॥4॥
ગાયના ચરણ – ૪
ગાયના આંચળ – ૪
ગાયનું પૂંછ – ૧
ગાયનું મુખ – ૧
ગાયની આંખ – ૨
ગાયના કાન – ૨
ગાયના શીંગડા – ૨
કુલ ૧૬
આમ ગાય ૧૬ અંગની પૂર્ણ ગૌમાતા છે.
માનવીની આંખ ગાયની આંખ છે.
जय जय सुरनायक जन सुखदायक प्रनतपाल भगवंता।
गो द्विज हितकारी जय असुरारी सिंधुसुता प्रिय कंता॥
पालन सुर धरनी अद्भुत करनी मरम न जानइ कोई।
जो सहज कृपाला दीनदयाला करउ अनुग्रह सोई॥1॥
हे देवताओं के स्वामी, सेवकों को
सुख देने वाले, शरणागत की रक्षा करने वाले भगवान! आपकी जय हो! जय हो!! हे गो-ब्राह्मणों
का हित करने वाले, असुरों का विनाश करने वाले, समुद्र की कन्या (श्री लक्ष्मीजी) के
प्रिय स्वामी! आपकी जय हो! हे देवता और पृथ्वी का पालन करने वाले! आपकी लीला अद्भुत
है, उसका भेद कोई नहीं जानता। ऐसे जो स्वभाव से ही कृपालु और दीनदयालु हैं, वे ही हम
पर कृपा करें॥1॥
રામ કથા મા છે.
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