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Sunday, December 22, 2019

માનસ પવનતનય


રામ કથા
માનસ પવનતનય
ભીંડ, મધ્ય પ્રદેશ
શનિવાર, તારીખ ૨૧/૧૨/૨૦૧૯ થી રવિવાર, તારીખ ૨૯/૧૨/૨૦૧૯
મુખ્ય ચોપાઈ
पवन तनय बल पवन समाना
बुधि बिबेक बिग्यान निधाना
पवनतनय के चरित सुहाए
जामवंत रघुपतिहि सुनाए


શનિવાર, ૨૧/૧૨/૨૦૧૯
कहइ रीछपति सुनु हनुमानाका चुप साधि रहेहु बलवाना
पवन तनय बल पवन समानाबुधि बिबेक बिग्यान निधाना॥2॥
ऋक्षराज जाम्बवान्ने श्री हनुमानजी से कहा- हे हनुमान्‌! हे बलवान्‌! सुनो, तुमने यह क्या चुप साध रखी है? तुम पवन के पुत्र हो और बल में पवन के समान होतुम बुद्धि-विवेक और विज्ञान की खान हो॥2॥
नाथ पवनसुत कीन्हि जो करनीसहसहुँ मुख जाइ सो बरनी
पवनतनय के चरित सुहाएजामवंत रघुपतिहि सुनाए3॥
हे नाथ! पवनपुत्र हनुमान्ने जो करनी की, उसका हजार मुखों से भी वर्णन नहीं किया जा सकतातब जाम्बवान्ने हनुमान्जी के सुंदर चरित्र (कार्य) श्री रघुनाथजी को सुनाए॥3॥
હનુમાનજી પવન પુત્ર છે, પવન તનય છે.
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्‌।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥3॥
अतुल बल के धाम, सोने के पर्वत (सुमेरु) के समान कान्तियुक्त शरीर वाले, दैत्य रूपी वन (को ध्वंस करने) के लिए अग्नि रूप, ज्ञानियों में अग्रगण्य, संपूर्ण गुणों के निधान, वानरों के स्वामी, श्री रघुनाथजी के प्रिय भक्त पवनपुत्र श्री हनुमान्जी को मैं प्रणाम करता हूँ॥3॥
हरि अनंत हरि कथा अनंता
હનુમાનજી હરિ છે જે અનંત છે.
દરેક સમસ્યા અગ્નિ કસોટી છે.
હનુમાન ચરિત્ર સમસ્યાની અગ્નિ કસોટીમાં સહાય થશે.
જાનકીની અગ્નિ કસોટી થયા પછી રામ રાજ્ય આવે છે.
પ્રગતિ કરવા માટે કસોટીમાંથી પસાર થવું પડે, સમસ્યાનો સામનો કરવો પડે.
सुनु  सुरेस  रघुनाथ  सुभाऊ  निज  अपराध  रिसाहिं    काऊ॥2॥
हे  देवराज!  श्री  रघुनाथजी  का  स्वभाव  सुनो,  वे  अपने  प्रति  किए  हुए  अपराध  से  कभी  रुष्ट  नहीं  होते॥2॥
जो  अपराधु  भगत  कर  करई  राम  रोष  पावक  सो  जरई
लोकहुँ  बेद  बिदित  इतिहासा  यह  महिमा  जानहिं  दुरबासा॥3॥
पर  जो  कोई  उनके  भक्त  का  अपराध  करता  है,  वह  श्री  राम  की  क्रोधाग्नि  में  जल  जाता  है  लोक  और  वेद  दोनों  में  इतिहास  (कथा)  प्रसिद्ध  है  इस  महिमा  को  दुर्वासाजी  जानते  हैं॥3॥
આજ સુધી કોઈ સમસ્યા એવી નથી જેનું સમાધાન ન હોય.
દરેક સમસ્યાઓનું સમાધાન રામ ચરિત માનસમાં છે.
બુદ્ધ પુરૂષ કામનાઓ પુરી ન કરે પણ કામનાઓ ને જ સમાપ્ત કરી દે છે.
હનુમાનજીના જીવનમાં પાંચ કસોટી આવે છે.
સતી, જાનકી, હનુમાનજી, ભરત, કાકભુષંડીને પણ કસોટીનો સામનો કરવો પડે છે.
આજ સુધી કોઈ આગ એવી નથી જે બુઝાઈ ન હોય.
બીજ અનેક કસોટીમાંથી પસાર થયા પછી વૃક્ષ બને છે.
સાધુ પંચાગ્નિને પચાવી દે છે.
રામ ચરિત માનસનો આરંભ સંશયથી થાય છે, સમાધાન મધ્ય છે અને શરણાગતિ અંત છે. ગીતામાં પણ આરંભ સંશય છે, સમાધાન મધ્ય છે અને શરણાગતિ અંત છે.
नाथ एक संसउ बड़ मोरेंकरगत बेदतत्त्व सबु तोरें
कहत सो मोहि लागत भय लाजाजौं कहउँ बड़ होइ अकाजा॥4॥
हे नाथ! मेरे मन में एक बड़ा संदेह है, वेदों का तत्त्व सब आपकी मुट्ठी में है (अर्थात्आप ही वेद का तत्त्व जानने वाले होने के कारण मेरा संदेह निवारण कर सकते हैं) पर उस संदेह को कहते मुझे भय और लाज आती है (भय इसलिए कि कहीं आप यह समझें कि मेरी परीक्षा ले रहा है, लाज इसलिए कि इतनी आयु बीत गई, अब तक ज्ञान हुआ) और यदि नहीं कहता तो बड़ी हानि होती है (क्योंकि अज्ञानी बना रहता हूँ)॥4॥
આ સંસાર સમસ્યાઓનું જંગલ છે.
હનુમંત અનેક રૂપરૂપાય છે.
હનુમાનજી સાધુ સંતના રક્ષક છે.
સાધુ સંતકે તુમ રખવાલે
राम दूत मैं मातु जानकीसत्य सपथ करुनानिधान की
यह मुद्रिका मातु मैं आनीदीन्हि राम तुम्ह कहँ सहिदानी॥5॥
(हनुमान्जी ने कहा-) हे माता जानकी मैं श्री रामजी का दूत हूँकरुणानिधान की सच्ची शपथ करता हूँ, हे माता! यह अँगूठी मैं ही लाया हूँश्री रामजी ने मुझे आपके लिए यह सहिदानी (निशानी या पहिचान) दी है॥5॥





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