રામ કથા - 923
માનસ ભારત
શનિવાર, તારીખ 16/09/2023
થી રવિવાર, તારીખ 24/09/2023
કેન્દ્રીય પંક્તિ
अमिय मूरिमय चूरन चारू।
समन सकल भव रुज परिवारू॥
गुरु पद रज मृदु मंजुल
अंजन।
नयन अमिअ दृग दोष बिभंजन॥
बंदऊँ गुरु पद पदुम परागा।
सुरुचि सुबास सरस अनुरागा॥
अमिय मूरिमय चूरन चारू। समन सकल भव रुज परिवारू॥1॥
मैं
गुरु महाराज के चरण कमलों की रज की वन्दना करता हूँ, जो सुरुचि (सुंदर स्वाद), सुगंध
तथा अनुराग रूपी रस से पूर्ण है। वह अमर मूल (संजीवनी जड़ी) का सुंदर चूर्ण है, जो
सम्पूर्ण भव रोगों के परिवार को नाश करने वाला है॥1॥
गुरु पद रज मृदु मंजुल अंजन। नयन अमिअ दृग दोष बिभंजन॥
तेहिं करि बिमल बिबेक बिलोचन।
बरनउँ राम चरित भव मोचन॥1॥
श्री
गुरु महाराज के चरणों की रज कोमल और सुंदर नयनामृत अंजन है, जो नेत्रों के दोषों का
नाश करने वाला है। उस अंजन से विवेक रूपी नेत्रों को निर्मल करके मैं संसाररूपी बंधन
से छुड़ाने वाले श्री रामचरित्र का वर्णन करता हूँ॥1॥
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